प्रथा या कुप्रथा?


यहां आज भी सुहागरात पर जांची जाती है वर्जिनिटी:-





कहने को आज भले हम एक सभ्य समाज में रह रहे हैं .... 21 वीं सदी में जी रहे हैं .... लड़कियों को इज्जत मान सम्मान देने के कई दावे होते हैं .... नारी सशक्तिकरण की बात करते हैं। बराबरी की बात करते हैं। हक की बात करते हैं। और हाँ, सिर्फ बात ही करते हैं!
 पुरानी कहावत के अनुसार-कथनी और करनी में फर्क होता है।' जी हाँ इसी के अनुसार कथनी (कहने) में तो हम बहुत कुछ कह जाते हैं बड़े-बड़े वादे कर जाते हैं। और करनी में?...करनी में सिर्फ और सिर्फ रास्ता नापते नज़र आते हैं।
 ये बात सत्य है कि, जहां हम रहते हैं वहाँ की बोल-चाल, भाषा, रहन-सहन, व्यवहार, वातावरण, परिवेश, रीति-रिवाज, और सोच का हम पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। यहीं से हमारे व्यक्तित्व का निर्माण होता है। और ये सब चीजें अपने आप में सम्मिलित करता है, हमारा समाज!

 तो,  हमारा समाज कैसा होना चाहिए? बहुत ही सरल, सार्थक? जिसमें हर धर्म, जाति, वर्ग, उम्र का व्यक्ति साथ मिलकर, सरल और अपनी सुविधानुसार (जिसमें किसी का नफा-नुकसान ना हो।) अपना जीवन निर्वाह कर सके, बिना किसी दबाव तले। या समाज द्वारा,रूढी-वादी विचार-धारा के गुलाम बनकर, बेमतलब के रीति-रिवाजों के तले दब कर, सिर्फ और सिर्फ अपने निराधार, दकियानूसी वक्तव्य और विचारों को हर व्यक्ति पर थोप, सदियों से चलाई जा रही जबरदस्ती की प्रथा जो की समाज ही निर्धारित करता है को चालू रख, ऐसे समाज में बंध कर रोज़ाना मर-मर कर जीये???

 भारत देश में शादी यानी की विवाह कई तरीकों से होता है। जैसे कि-लव मैरेज, अरेंज मैरेज, इंटर काश्ट...कोई कोर्ट मैं शादी करता है कोई मंदिर में शादी करता है तो कोई मौलवी से निकाह पढ़वाता है। और साथ ही शादी में होने वाले हर तरह के रिवाज़ो का पालन भी करता है ताकि, समाज के सामने समाज के द्वारा ही बनाए गए या यूं कहें कि थोपे गए नियमों, रीति-रिवाजों का कोई अंश भी ना छूट जाए। और फिर सुनने को ना मिले की फलाने ने ऐसा नहीं किया इसलिए अपशकुन हुआ या बाद में पूरे परिवार का ही देश निकाला कर दिया जाए।

 भारत देश में जहाँ रीति-रिवाज़ो पर पूर्ण रूप से आँख बंद कर विश्वास किया जाता है।  वहीं दूसरी और कुछ ऐसे घिनौने रीति-रिवाज़ भी हैं जिन्हें सुनकर ही आप दंग रह जाएंगे।
 सोचिये की किसी लड़की की शादी या यूं कहें की आप एक लड़की हैं और आपकी ही शादी है।
शादी में किन-किन लोगों और चीजों की ज़रूरत होती है?
लड़का-लड़की की, उसके परिवार की, नाते-रिश्तेदारों की। बहुत सारे रिवाजों की और बुत सारे दहेज की (हैसियत के हिसाब से)।
 और एक और चीज और वो है संभोग(पुरुष और स्त्री के शारीरिक संबंध) ये कोई नई या अचंभित करने वाली बात नहीं है मगर लड़की के साथ संभोग किया जाए चार-दिवारी के बीच सफेद रंग की चादर बिछा कर सुहागरात की रात को एक रिवाज़ के अनुसार समाज के रीति रिवाज के अनुसार घर के बड़ो के कहने पर किया जाए तो?

 जी हां जहाँ हमारे देश में नारी को देवी के रूप में पूजा जाता है, तो वही दूसरी और महाराष्ट्र के कंजारभाट और राजस्थान के सांसी समाज में ऐसी प्रथा, कुकड़ी प्रथा का प्रचलन है। प्रथा के अनुसार सुहागरात के दिन कौमार्य जांच की बात सुनकर अजीब लगता है लेकिन महाराष्ट्र का कंजारभाट समाज में आज भी ऐसा करता है. सुहागरात के दिन नवविवाहिता के कौमार्य की जांच समाज की महिलाएं अपने तरीके से करती हैं. जब इसी समाज के पढ़े लिखे और ऊंचे पद पर नौकरी कर रहे एक युवक ने इसके खिलाफ आवाज उठाई तो उन्हें समाज से निकाल दिया गया.
युवक का नाम कृष्ण इंद्रेकर है.

 कैसे होती है जांच:-
 इस परंपरा के तहत समाज की महिलाएं नवदंपत्ति को एक सफेद चादर पर सोने के लिए कहती हैं. सुबह होने पर सफेद चादर पर पड़े खून के जरिए ये जांच होती है कि नववधू कौमार्य(virginity) टेस्ट में पास हुई या नहीं.

 22 सालों से जारी है बहिष्कार:-
 केवल कृष्ण ही नहीं बल्कि उनकी पढी लिखी पत्नी अरुणा ने भी इसका विरोध किया था. जिसकी उन्हें बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी. शादी के 21 साल बाद भी उनका न तो बहिष्कार खत्म हुआ है और न ही नाते-रिश्तेदार उनसे नाता रखते हैं.

 सरकार नहीं उठाना चाहती कोई कदम:-
 इंद्रेकर दंपति अपने मामले को सरकार के पास तक ले गए. उन्होंने महाराष्ट्र सरकार को चिठठी लिखकर कुप्रथा के खिलाफ कानून बनाने की मांग की. लेकिन सरकार की तरफ से कोई कदम उठाया नही गया. पूछने पर बताया जाता है कि ये एक समाज की प्रथा है इसमें जब तक कोई मामला दर्ज नहीं हो, कोई कुछ नही कर सकता है.

 मानवाधिकारों का उल्लंघन है ये:-
 कौमार्य परीक्षण(virginity test) एक बहुत ही विवादास्पद जांच है. कई देशों की सरकारों और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस पर रोक लगाई हुई है. एमनेस्टी इसे अपमानजनक और मानव अधिकारों का उल्लंघन मानती है. लेकिन देश के कई हिस्सों में ऐसी परंपराएं अब भी जारी हैं.


 नमस्कार-       
 हेमन्त राय (theatre artist & blogger)

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