भाषा या सभ्यता ??
अगर आप अपने दोस्तों के साथ रोड़ पर चल रहे हैं और सामने से आती लड़की पर आपने भी लाईन नहीं मारी तो आजकल के रीतिरिवाज अनुसार वो आपको कहेंगे भग बेंचों(BC) डरपोक।
अगर आप उन्हीं दोस्तों के साथ लौंडे-यारी में ट्रिप पर जाते वक्त सिगरेट(cigarette) का एक सुट्टा भी न मार पाए तो वो आपको कहेंगे। बेंचों(BC) फट्टू है!
अगर आपने अपनी फ़स्ट डेट पर अपनी गर्लफ्ऱेड को किस्स नहीं किया तो आप कहलाएँ जाओगे चूतिये।
ये तो मेरे साथ भी हुआ है!
और अगर आप उन्हीं लौंडे के साथ। माँ-बाप को बिन बताए दारू का एक पेग भी ना गटक पाए तो फि़र आप ये सुनेंगे! बेंचो(BC) अब तो मर्द बन।
अब तो मुझे खुद समझ नही आ रहा कि ये बेंचो या इन जैसे शब्द गाली है या तकिया कलाम?
ये सब देखने के बात तो ये बात प्रमाणित होती है कि आजकल कि जनरेशन कि रग़ो में देश-भक्त़ि हो या न हो पर चूतिया-पंत्ति ज़रूर है।
ऐसा आभास होता है कि वो दिन दूर नहीं जब इस BC,MC जैसे शब्दों के लिए लोग् धरना भी देंगे, आंदोलन होगा,जुलूस निकलेंगे,और वहीं दूसरी ओर इन शब्दों का विरोध करने वालों के पुतले भी फ़ूके जाएंगे। और भी न जाने क्या क्या!
ये गाली ऐसी हो चुकी हैं....माफ़ कीजिएगा ये शब्द इस तरह जज़्ब हो चुके हैं हमारी रोज़मर्रा कि ज़िन्दगी में, जैसे कि सब्जी में नमक कम होने पर बे-स्वाद लगती है(बेंचों नमक तो है ही नी) शरबत में शक्कर न होने पर(भो*ड़ी के चीनी तो डाल लेता) और तो और अब ये भी देखिये। कि आप लोगों को समझाने के लिए भी मुझे खुद (BC,MC) अभद्र गाली, दुबारा माफ़ कीजिएगा अगर बुरा लगा हो तो....ऐसे शब्दों का उपयोग करना पड़ रहा है। मैं खुद अछूता नहीं रहा हूँ।
क्या इन शब्दों का उपयोग ना करने पर हमारा भोजन नहीं पचेगा? या जब सोकर उठेंगे और। शाँवर(नहाने) लेने जाएंगे तो पानी आना बन्द हो जाएगा? या आँफ़िस मे घुसते ही आपका बाँस आपको बोलेगा कि मि० शर्मा you don't use such words like BC,MC & oye chutiye, in our office that's why you are not eligible to work with us. U r fired!!! क्या ऐसा होगा? नहीं ना। आप भी सोच रहे होंगे कि एसा कौन करता है भई! जी हाँ एसा नहीं होता है। फ़िर ऐसे चीप(घटिया) शब्दो का इस्तेमाल कर हम so called cheap mentality क्यों दिखाना चाहते हैं? क्या इससे हमें आँफ़िस मे प्रमोशन मिलगे या यूनिवर्सिटी टौप करलेंगे?
यार चीन के सामानका बहिष्कार करना बहुत अच्छी बात है ताकि। देश कि अर्थव्यवस्था को डगमगाने से बचाया जा सके। पर ऐसे शब्दों का बहिष्कार भी ज़रूरी है। ताकि देश कि संस्कृति को लुप्त होने से बचाया जा सके।
नमस्कार।
हेमन्त राय (थि्येटर आर्टिस्ट, राईटर,बलौग्गर)।
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