असामाजिक सोच।


असामाजिक लोग।




देश में आजकल कुछ ऐसी फिल्में बननी लगी जिससे देश के साथसाथ देश का सिनेमा भी खतरे में है। की कैसे देश के महान cheap Director ज़रूरी न होने पर भी एक फिल्म में अंतरंग सीन डाले जाते हैं। कि कैसे डबल मीनिंग सवादो का उपयोग किया जाता है। ये क्या आपने फैमिली बेस्ड फिल्म बना दि मुबारका? फैमिली ड्रामा न दिखाओ चाहें वो सच्चाई पर आधारित हो। 'Intimacy' दिखाईए सर क्योंकि इसके बिना तो फिल्म पूरी नहीं होती है। क्योंकि 'Intimacy' ही मात्र एक एसा सच बचा है Bollywood के so called directorन के लिए। जो दिखाया जाना चाहिए। उनकी महान सोच ये कहती है कि ये भी एक सच्चाई है जो दिखाना जरूरी है। 'कि जैसे 'Intimacy' (sex) जैसी चीज़ें भी होती है ये किसी को मालूम नहीं था अब तक। देश की जनसंख्या तो जैसे इंटरनेट से डॅाउनलोड हुई है न? फ़िल्म की कहानी में पात्रों को निरवस्त्र कराना, अभद्र भाषा का इस्तेमाल करना,यहाँ तक की फिमेल पात्र के गुप्तअंगों को दिखाया जाना,फ़ूहश-निगारी पर उतर आना। ये कोनसा सिनेमा है भई?आप ऐसी फिल्म केजरिये कहानी,पात्रोका व्यक्तित्व दिखाना चाहते हो या पोर्न मूवी? अगर सिर्फ पोर्न ही देखना और दिखाना है लोगों को  तो मत भूलो कि हर सेकंड 10 में से 7कीवर्डस पोर्न के ही होते हैं इंटरनेट पर सर्च किए जाते हैं। लोगों को कहानी, पात्र और अच्छा सिनेमा देखना है। न कि सिनेमा में भी अंतरंगी सीन नहीं। पोर्न नहीं!


हेमन्त राय।(theatre artist, writer,blogger)

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