बीमार का मोहल्ला!
बीमार का मोहल्ला!
(हेमन्त राय)
ना अमीर, ना गरीब, ना ऊच, ना नीच ना तेरे ना मेरे रिश्तेदार का मोहल्ला।
बे-वजह यहां कभी न पधारो क्योंकि ये है बीमार का मोहल्ला।
हाथ पैर टूटें हों तो डॉक्टर उन्हें जोड़ते हैं।
मंत्री-संत्री या हो आशिक़ सभी यहां दम तोड़ते हैं।
नहीं है ये आशिक़ो के इज़हार का मोहल्ला।
क्योंकि ये है बीमार का मोहल्ला।
रिश्वत यहां भी चलती है लाइन यहां भी लगती है।
कोई माँ प्रसव कि पीड़ा से चीखती है।
तो कोई बच्चे कि मौत से बिलखती है।
चीरे के दर्द से कोई सिसक रहा है
तो कोई सुई के डर से बिदक रहा है।
स्वास्थ्य व्यक्ति को तुम यहाँ ना लाओ,
क्योंकि नहीं ये तुम्हारे किसी मित्र चिंटू-मिंटू, पिंकू-रिंकू या
पप्पू कि ससुराल का मोहल्ला।
बे-मतलब यहां कभी न पधारो क्योंकि ये है बीमार का मोहल्ला।
यहाँ लाश को ज़िन्दा करने का जुगाड नहीं।
मगर ज़िन्दा को लाश बनाने का जुगाड रहता है।
आधे-घंटे में ओपरेशन करना है पैसे जमा करो ये कहना इनका फ्किस रहता है।
छींक आने पर भी ये हजारों का बिल बना देते हैं।
जिस दवा का नाम भी ना सुना हो। ये वो घोट कर पिला देते हैं।
दवाईयाँ इनकी गजब होती हैं बातें भी बड़ी अजब होती।
जैसे - कि ये लो खांसी की दवा इंजेक्शन भी लगा देता हूँ फटाक से मुहँ खोलो पीली दवा पिला देता हूँ।
ये लो लाल गोली दिन में। और पीली गोली रात में।
आराम मिल जाए तो ठीक। नहीं तो एक सलाह देता हूँ।
कि चार दिन दवा जारी रखो पांचवे दिन फिर। चक्कर लगाना।
मर्ज़ ठीक हुआ तो ठीक नहीं तो बड़े डाक्टर को दिखाना।
बैठ यहाँ समय अब न गवाओ लाइन पीछे तक लगी है खड़े हो जाओ।
और सुनो। एक बात और मैं बताऊँ, जाते-जाते कंपाउंडर को 500 का एक नोट थमाओ।
झट-पटाकर भागा मरीज बाहर जाकर चिल्लाया!
कि नहीं सिर्फ़ बीमार का मोहल्ला साथ में है ये झोला-छापो के व्यापार का मोहल्ला।
नमस्कार
हेमन्त राय (थियेटर आर्टिस्ट,लेखक,ब्लोग्गर)
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