फ़ौजी-भारत माता की जय।
फ़ौजी-भारत माता की जय।
(हेमन्त राय)वो भी एक दौर था जब देश को बचाया था,
1965 में बोर्डर की धरती पर देश को जिताया था।
खुद को भू्ख़ा रखकर हमने,
दुशमन को धूल चटाया था।
खू़न बहा था सर कटे थे,
पर हौसला ना मुरझाया था।
भगा-भगा कर मारा था उनको,
अपना खौफ़ दिखलाया था।
उनकी आँखों के ही सामने,
तिरंगा भी लहराया था।
खु़द कि परवाह ना करकें,
अपना जीवन गवाया था।
ताकि- देश का बच्चा,बूढ़ा,जवान
खु़शी से घिरे में रह सके,
तीज और त्योहारों पर,
हैप्पी होली, ईद मुबारक कह सकें।
ताकि-बच्चे जाए स्कूल और देश का फ़्यूचर बन सके।
बैसाखी की ज़रूरत ना पडे़ खु़द पैरों पर चल सकें।
फ़सल हो अच्छी देश में हर-घर में खुशहाली आए,
भूखे बच्चों के चेहरों पर भरे पेट की लाली आए।
खुद की बूढ़ी माँ को घर पर छोड़,
धरती माँ कि रक्क्षा करते हैं।
नई नवेली दुल्हन को छोड़, घर से दूर सरहद पर बंदूक ताने लड़ते हैं।
आंधी आए,पानी आए हम धूप में खड़े झुलसते हैं,
पर जिस देश के लिए हम सरहद पर गोली खा और सर कटा के मरते हैं उसी देश के दोगले नेता संसद में बैठ लड़ते हैं।
हमें क्या मिलता है बदलें में,
सूखी-रोटी और पनीली-दाल।
हम कटाते हैं सर अपना,
ये बैठ चलाते हैं ये गाल.
कि एक(1) सिर के बदले में हम बीस(20) सिर लेकर आएंगे...
पर एक बात ये कोई तो बता दो कि हम एक सिर भी क्यों कटवाएंगे?
कब तक हम दबते रहेंगे और खब तक ये दबाते रहेंगे,
कब ता ये खंजर घोपेंगे और कब तक हम चुप्पी लगाते रहेंगे?
कब तक हम चुप्पी लगाते रहेंगे?
कब तक हम चुप्पी लगाते रहेंगे?
पर ना डरे थे ना डरेंगे अब
ना किसी का भय,
तब भी कहा था,अब भी कहेंगे
भारत माता की जय।
भारत माता की जय।
भारत माता की जय।
नमस्कार-
हेमन्त राय (थियेटर आर्टिस्ट,लेखक,ब्लोग्गर)
Comments
Post a Comment