लड़कियां हिंदी व्याकरण वाली!(कविता)
कुछ लड़कियां होती हैं ‘हिन्दी व्याकरण’ की तरह,
जो लगा लेती हैं माथे पर बिंदी,
शब्द हिंदी में लगी ‘अनुस्वार’ की बिंदी कि तरह।
और हो जाती हैं झट-पट ‘सुंदर’।
कुछ लटका लेती है झुमके,
शब्द ‘मृग’ में लगी मात्रा ‘ऋ’ की तरह,
जो चलते है ‘मृग’ की सी ही चाल,
हवा के चलने पर।
कुछ एक लगाती हैं ‘पिन’ नाक पर,
‘अल्पविराम’ की सी।
तो कुछ एक लगाती है सिंदूर की ‘लालिमा’
बालो बीच, विवाह के बाद,
‘पूर्ण विराम’ की सी।
और पहन लेती है गले में
कंठ के ठीक नीचे तक ‘वर्णमाला’
जो लाती है,उनकी बोली में,
‘मधु’ का सा रस।
इस प्रकार हो जाती है स्वतः ‘अलंकृत’
और बचा लेती हैं स्वयं संग,
‘हिंदी’ की सुन्दरता।
__________________________________________
हेमंत राय!
५-७-२०२०
जो लगा लेती हैं माथे पर बिंदी,
शब्द हिंदी में लगी ‘अनुस्वार’ की बिंदी कि तरह।
और हो जाती हैं झट-पट ‘सुंदर’।
कुछ लटका लेती है झुमके,
शब्द ‘मृग’ में लगी मात्रा ‘ऋ’ की तरह,
जो चलते है ‘मृग’ की सी ही चाल,
हवा के चलने पर।
कुछ एक लगाती हैं ‘पिन’ नाक पर,
‘अल्पविराम’ की सी।
तो कुछ एक लगाती है सिंदूर की ‘लालिमा’
बालो बीच, विवाह के बाद,
‘पूर्ण विराम’ की सी।
और पहन लेती है गले में
कंठ के ठीक नीचे तक ‘वर्णमाला’
जो लाती है,उनकी बोली में,
‘मधु’ का सा रस।
इस प्रकार हो जाती है स्वतः ‘अलंकृत’
और बचा लेती हैं स्वयं संग,
‘हिंदी’ की सुन्दरता।
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हेमंत राय!
५-७-२०२०
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