Story:- The Confession! 

                                           (Idea by Keerti Kaushik)

                                        Writer:- Hemant Kumar Rai




(लखनऊ की सर्द रातों में लॉरेंस कॉलोनी में स्थित, कब्रिस्तान के अगले हिस्से में लकड़ी की दीवारों से बना किसी चर्च की सी शक्ल सा दिखने वाला दो कमरों का घर।

जिसके बाहरी कमरे में, सुलगती हुई चिमनी के ऊपर जलती हुई मोमबत्तियों के बीच रखी ईसाई धर्म के प्रवर्तक ‘येशु’ की फोटो! और बग़ल में रखा एक फोन। ठीक बग़ल की दीवार पर लटकी एक पेंडिलम दीवार घड़ी जिसकी छोटी सुई धीरे-धीरे  9 की ओर सरकती हुई और बड़ी सुई 11 पर है।  वहीं चिमनी के ही पास रखी आर्म-कुर्सी पर बैठा बाइबल पढ़ता एक शख्स। जो बीच-बीच में उठ कर बाहर से आती सर्द हवा के थपेड़ों से बार-बार खुलती हुई खिड़कियों को बंद करता है। घर के फ़ोन, और दरवाज़े की घंटी भी एक जैसी ही है। )

(Night ambiance background sounds, with cloud thunder)


(Landline bell)ट्रिंग! ट्रिंग!.... ट्रिंग! ट्रिंग!


आदमी एक :- (रिसीवर उठाते हुए) हैलो, हैलो! हां...कुछ पता  चला?.... क्या? हां, लिखिए... अअ...संडे! हां?...24? नो इट्स नोट फॉर! इट्स फाइव!  25! हां, आप लोग समझते क्यूं नही? देखिए,... हां, प्लीज़ आप कुछ कीजिए जल्द-से-जल्द!  हैलो! हैलो! हैल्ल...!(अपने आप से) ओह गॉड! ये ऑफिसर्स तो...! ओह!...ऊपर से ये मौसम!


( रिसीवर को रख, हवा के तमाचो से झटपटाती हुई खिड़कियों को बंद कर, फिर से अपनी कुर्सी पर बैठ बाइबल पर आंखे टिका लेता है।)


ट्रिंग! ट्रिंग!.... ट्रिंग! ट्रिंग!

पादरी:- (फिर से रिसीवर उठाते हुए) हेल्लो? हेल्लो? 

(रिंग अब भी बज रही है...ट्रिंग ट्रिंग!)

पादरी:- हेल्लो! हेल्लो! ओह जीसस! अब इस फोन को क्या हुआ?


आदमी:- ओपन द डोर! ओपन द डोर फादर, ओपन द डोर! प्लीज़ दरवाज़ा खोलिए! आई वांट टू स्लीप, प्लीज़ हेल्प मी फादर! प्लीज़ हेल्प मी!

फादर मार्कस:-(भीतर से ही अचंभित होते हुए) सोना है तो घर जाओ, मेरे बच्चे!

आदमी:- हेल्प मी फादर प्लीज़ हेल्प मी?

 (पादरी दरवाज़ा खोलते हुए) हे मेरे बच्चे! क्या हुआ?    

आदमी:- (लगातार रोते हुए) हेल्प में फादर प्लीज़!!

पादरी:- हां बोलो बच्चे?

दूसरा आदमी:- (लगातार रोते हुए) फादर...फाद!

पादरी :-  हां बोलो मेरे बच्चे, क्या हुआ? इतनी ज़ोर से दरवाज़ा क्यों पीट रहे थे?           

दूसरा आदमी:- मार्कस जेवियर? 

पादरी:- येस!!!

दूसरा आदमी:- आई एम सॉरी फादर? फादर मैंने...(cloud thunder) (गेट पर ही गिर जाता है)

पादरी:- हे यंग बॉय गेट अप, कम इनसाइड। (उसको बैठाते हुए) seat here Tell me what happened? 

आदमी:- फादर, मुझे कॉन्फेस करना है!

( i want to confess something!)


पादरी:- हां बोलो बच्चे, वो ईशर सब सुन रहा है।

आदमी:- लेकिन सुन तो आप रहे हैं फादर!

पादरी:-हां, मैं सुन रहा हूं, लेकिन ईश्वर भी सुन रहा है, तुम्हे भी और मुझे भी! मैं तो बस एक ज़रिया मात्र हूं तुम्हारी बात को उस ईश्वर तक पहुंचाने का। बोलो बच्चे तुमसे कोनसा पाप हुआ है?

आदमी:- (रूआंसा सा) फादर मैं कैसे बताऊं आपको कि मुझसे क्या... हु..आ... मैंने बहुत गलत किया...(रोने लगता है)

फादर:- ओके! ओके मेरे बच्चे शांत-शांत! अपने किए पर फैसला सुनाना तुम्हारा काम नहीं है, यह तो उसका(जीसस) का काम है! And as I know वो उन सबको माफ़ करता है, जिन्हें अपने किए पर पछतावा होता है, वो तुम्हें भी माफ़ करेगा!

आदमी:- (रोते हुए) लेकिन फादर... मैं कैसे बताऊं कि मुझसे क्या हुआ...(और ज़ोर से रोने लगता है)

पादरी:-(उसे चुप कराते हुए) Okay, मेरे बच्चे शांत शांत! मैं जो भी पूंछू तुमसे बस हां या ना में जवाब देना, ओके?


(आदमी सिर हिला कर ‘हां’ में जवाब देता है!)


फादर:- क्या तुमने किसी से कोई झूठ बोला?

आदमी:- (सिर के इशारे से) नो!

फादर:- ओके! क्या तुमने कोई चोरी की?

आदमी:- नो!

फादर:- (रुक कर) तो ऐसा क्या किया है तुमने, बच्चे?

आदमी:- फादर मैं कैसे बताऊं आपको कि..?


फादर:- ओह माय चाइल्ड! हाहहा तुम कुछ मत करो! थोड़ी देर जीसस के पास बैठों सब ठीक हो जाएगा


आदमी:- लेकिन मुझे कन्फेस करना है फादर! वो सब जो किसी को नहीं पता, जिसका बोझा लिए मैं यहां से वहां भटक रहा हूं।

फादर:- इसीलिए तो कहा तुमसे कि जीसस के पास बैठों, तुम बेठों और मैं बाइबल का पाठ पड़ लेता हूं! ओके माय चाइल्ड?

लेकिन फिर भी अगर तुम जाना चाहते हो तो जा सकते हो। मैं तुम्हारे अनजान पापों का बोझा कम करने के लिए, ईश्वर से प्रार्थना कर लूंगा। God be with you my child!

आदमी:- (सिर हिलाते हुए, आंखों से आंसू पोछते हुए) नो! नो फादर! आई हैव टू कन्फेस! मुझे जाने के लिए मत बोलिए! प्लीज़ फादर मुझे अब कहने दीजिए, बहुत मुश्किल से यहां तक पहुंच पाया हूं मैं, पिछ्ले 6 दिन से भटक रहा हूं मैं!  मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा, कहां जाऊं, क्या करू? मैं किस्से बात करू? लेकिन अगर आप सुनना नहीं चाहते तो मत सुनिए। आप कहते हो न कि ईश्वर हम सबको सुनता है, तो ठीक मैं यहां कुछ देर बैठकर इस ईश्वर(Jesus) से ही बात करके चला जाऊंगा।

पादरी:- Alright! बोलते रहो वो सुन रहा है।

आदमी:- श्रीनगर में मेरी एक छोटी सी दुकान है, चाय की!

वहीं दुकान से थोड़ी ही दूर, किराए के एक कमरे में रहता हूं जिसमें मैं अपनी पत्नी और मेरी 4 साल की एक बेटी के साथ रहता हूं। मेरी बेटी आंखों से ठीक से देख नहीं पाती। डॉक्टर ने कहा है कि उसका ऑपरेशन करना पड़ेगा। जिसके लिए बहुत सारे पैंसो की ज़रूरत है। मैं रात दिन चाय बेचकर एक-एक पैसे जोड़ता हूं ताकि उसका इलाज करवा सकूं। लेकिन समझ नही आता कि उसके इलाज के लिए मैं कितने ही पैसे जुटा पाऊंगा...

फादर:- ओह माय चाइल्ड तो क्या ये है तुम्हारी समस्या? पैसे जुटाना?

आदमी:- नहीं फादर बात पैसों की नहीं, बात तो 25 तारीख़ की रात करीब 8 बजे की है। 

(night cricket background sounds....

एक 26 साल का लड़का उलझे हुए बाल और धूल में सना, मेरी दुकान के सामने एक काले रंग का बैग पकड़े हुए खड़ा, कभी इधर-उधर, तो कभी फ़ोन पर बात करता।  वो शायद कुछ ढूंढ रहा था। फिर इधर-उधर देखते हुए मेरी दुकान पर आ गया और कांपते हुए होंठों से एक कप चाय और हाथों के इशारे से एक सिगरेट मांगी।

       मैंने उसे चाय देते हुए पूछा कि “कहां से हो”? तो वो बोला “लखनऊ”! और चुप हो गया!  कुछ देर बाद अचानक से बोला “ मुझे एक रात के लिए रूम चाहिए, क्या यहां कोई कमरा मिल सकता है?” 

क्रिसमस का समय चल रहा था, इसलिए सारे होटल फुल थे। वो अकेला था और कांप भी रहा था। मैंने सोचा इतनी रात को इतनी ठंड में कहा जाएगा। बीवी बच्ची को लेकर मायके गई हुई थी। इसलिए, मैंने उसे अपने कमरे पर रात गुज़ारने के लिए बोला, वो कुछ देर सोचता रहा और फिर एक कॉल लगाया। और फिर मेरे साथ चलने को तैयार हो गया। मैं दुकान बंद करके चलने को हुआ, तो देखा उसका बैग नीचे पड़ा हुआ था और वो थोड़ी ही दूरी पर, एक हाथ में सिगरेट लिए और दूसरे से फ़ोन पर बात कर रहा था। मैंने जैसे ही उसका वो बैग उठाकर चलने को हुआ, उसने झट से वो काले रंग का बैग मुझसे छीन लिया। मुझे लगा शायद कुछ ज़रूरी सामान होगा।


फिर मैं अपनी दुकान बंद करके उसे अपने साथ अपने कमरे पर ले आया। जब वो चल रहा था तब मैंने देखा, वो अपने बैग को कसकर पकड़े हुए था। कमरे पर आने के बाद मैंने उसे कुछ खाने को बोला तो उसने मना कर दिया। लेकिन वो बहुत तेज-तेज कांप रहा था। शायद ठंड बहुत थी इसलिए, और शायद उसे बुखार भी था। मैंने अपनी रम की बॉटल निकली और दो ग्लास में डाल ली, एक गिलास उसको दिया लेकिन उसने सूंघा, कुछ देर सोचा और मना कर दिया! लेकिन उसने एक सिगरेट जलाई अपना बैग लिया और फ़ोन पर बात करते हुए बाल्कनी में चला गया, और थोड़ी देर बाद वापस आकर, कंबल मांगा और लेट गया। मुझे कुछ समझ नहीं आया! 


मैं इधर अपना दूसरा पैग बना ही रहा था कि गांव से बीवी का फ़ोन आ गया।  वो रो रही थी और कह रही थी कि 5 लाख़ रुपए जुटने होंगे तभी हमारी बच्ची देख पाएगी नही तो वो कभी नहीं देख पाएगी। और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी।

पादरी:- फिर?

आदमी:- फिर क्या फादर? मुझे कुछ समझ नहीं आया।

बाप हूं ना, अपनी बेटी को अंधा होते हुए कैसे देख सकता हूं। मैं समझ नहीं पाया इतने पैसे कहां से लाऊंगा! मैं एक के बाद एक पैग पीता रहा। कि तभी उस लड़के की बड़बड़ाने कि आवाज़ आई। जैसे वो किसी से बात कर रहा हो नींद में! वो बार बार कह रहा था  “बैग को हाथ मत लगाना! बैग को हाथ मत लगाना!”

मुझे समझ नहीं आया कि वो ऐसा क्यों कह रहा है? मैं पिया हुआ था मेरे अंदर उसका बैग खोलकर देखने की उत्सुकता बढ़ गई।

(suspense music....

मैंने धीरे से उसका कंबल हटाया तो देखा वो बहुत बुरी तरह कांप रहा था, लेकिन उसने अब भी अपना बैग कसकर पकड़ा हुआ था। मैने धीरे से उसका बैग उसके हाथ से छुड़ाया, उसको कम्बल ओढ़ाया और बैग लेकर बाथरूम की तरफ़ भागा। लेकिन जब मैंने वो बैग खोलकर देखा तो  ओह! मेरे होश उड़ गए! उसमें इतने पैसे थे जितने मैंने आजतक नहीं देखें होंगे, इतने पैसों में तो यकीनन मेरे बेटी का इलाज हो जाएगा। मैं बहुत खुश था लेकिन नशे में। कि तभी कांच के टूटने की आवाज़ आई।

मैं जैसे ही पीछे मुड़ा, तभी मैंने देखा वो लड़का ठीक मेरे सामने खड़ा हुआ है, मेरी ही टूटी हुई बोतल को हाथ में लिए। 


मैंने उसे पीछे हटने को कहा, और उसने मुझे अपना बैग उसे देने के लिए। मैं नशे में था मुझे कुछ समझ नहीं आया। मैं उसे धक्का देकर कमरे की तरफ़ भागा। वो कांच की टूटी हुई बोतल हाथ में लिए मेरे पीछे दौड़ा! 

(background thriller music....

कमरे के भीतर मैं दीवार के सहारे खड़ा था, मेरे पीछे दीवार थी, और सामने वो। मेरी आंखें चढ़ी हुई थी, मैं हांफ रहा था, और वो कांप रहा था, मुझे समझ नही आया मैं क्या करूं? वो बॉटल मेरे तरफ किए हुए खड़ा बैग मांग रहा था। मैंने उसका बैग उसकी और फेंका, वो नीचे गिर गया। और अचानक से चीखने लगा। मैंने बैग हटाकर देखा तो वो बॉटल उसके पेट में घुस चुकी थी। उसके पेट से खून निकलने लगा, मैं कुछ समझ नहीं पाया, मैंने उसका बैग उठा लिया, लेकिन वो अब भी बैग छीनने के लिए उठना चाह रहा था। चीख रहा था। मैं ये सब देखकर डर गया। मुझे डर था कोई सुन न ले, मैंने उसका मुंह बंद करना चाहा। वो छटपटाने लगा, वो अपने नाखूनों से मेरा मुंह नोचने लगा। मेरे अंदर का शैतान जाग चुका था। मुझसे रहा नहीं गया, मैंने... मैंने....

 फादर:- तुमने? क्या तुमने? तुमने क्या किया?

आदमी:- मैंने! मैंने...उसकी आंखों में देखा,  वो उसकी आंखें मुझे घूर रही थी। मुझसे वो देखा नहीं गया मेरा गुस्सा बढ़ता गया, इतना इतना..इतना कि मैंने अपने दोनों हाथों से उसका गला दबा दिया! आह।

(Music out)

फादर:- ओह! ओह!! ओह...जीसस!!!

(Suspense music....

अब मैंने देखा उसकी आंखें पत्थर और बदन ठंडा पड़ चुका था। लेकिन मैंने अपने आपको ये दिलासा दिया कि ये एक चोर था।  उसका वो बैग उठाया और लाश को बोरे में डालकर बस अड्डे के पीछे फेंक आया।

लेकिन उसकी लाश को वहां फेंकते वक्त मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे भीतर से कुछ निकल गया हो। और मैं वहां से भाग आया।

फादर:- किसी को कुछ पता नहीं चला?

आदमी:-शाम तक उस लाश की ख़बर पूरे शहर में फैल गई। हमारे इन छोटे शहरों कोई भी ख़बरें इतनी बड़ी होती जाती है, कि वो हर आदमी तक अपने आप पहुंच जाती हैं।

उसकी ख़बर सुनकर मुझे डर लगने लगा, लेकिन यह सुनकर तो मेरे होश ही उड़ गए, जब पता चला कि वो कोई चोर नहीं, बल्कि लखनऊ से आया एक लड़का जो यहां अपनी पूरी जमा पूंजी लेकर, होटल का बिजनेस करने आया था।

लेकिन मैंने उसका सब कुछ छीन लिया, उसका पैसा, उसकी ज़िंदगी सब कुछ! मैं एक हफ़्ते से एक रात भी ठीक से नहीं सो पाया। उसका यह बैग लिए लिए घूम रहा हूं उसका घर ढूंढ रहा हूं। 

मैं नही जानता आपका ईश्वर मुझे माफ़ करेगा या नहीं। लेकिन मैं इस तरह नहीं जी सकता फादर, प्लीज़! हेल्प मी फादर! 

हेल्प मी!! 

(अपने होशो हवास खोते हुए) फादर मुझे ऐसा लगता जैसे कोई मेरे पीछे पड़ा है...मुझे पकड़ रहा है?

फादर:- calm down, man! Calm down!

(Tring! Tring!!)


फादर:- (फ़ोन उठाते हुए) हेलो! हेलो!!


(बाहर से किसी की आवाज़)


some sounds:- Open the dor pop marcus, open the dor!

पादरी:- कौन है वहां? 

Some sounds:- Police!


आदमी:- (डरते हुए) देखा, मैंने कहा था ना? कोई है जो मेरा पीछा कर रहा है! मुझे बचा लो फादर, मुझे बचा लो!


फादर:-(दरवाज़े की ओर ) wait police officer. और तुम अंदर जाओ, जाओ! (आदमी से)

पुलिस:- pop marcus De suza!

फादर:- येस ऑफिसर! कुछ पता चला? मेरे बेटे के बारे में?


पुलिस:- आप सही थे फादर! आपके बेटे का ख़ून हुआ है।और हम कोशिश कर रहें। हमें पूरी उम्मीद है, कि हम जल्द ही उस क़ातिल तक पहुंच जाएंगे। क्योंकि पता चला है कि वो खूनी, इसी शहर में है। और इसीलिए आप भी बच कर रहिएगा। ध्यान रखिएगा! प्लीज़ सतर्क रहिएगा!! 


(इधर पादरी दरवाज़ा बंद करता है, उधर अंदर के कमरे से उस आदमी के चीखने की आवाज़ आती है)


(फादर भाग कर कमरे के अंदर जाता है, पहले वाला आदमी दीवार पर टंगी फ़ोटो की तरफ़ मुंह करके खड़ा हुआ है!)


आदमी:- फादर! फादर!! यह ? यह कौन हैं?


 फादर:- He is my son!

 आदमी:- victor de suza??


Yes! He is my son ‘victor de suza’!!


(awkard thriller background music...


आदमी:- ohh! No! father! sorry! I'm sorry father....मुझे माफ़ करदो, मुझे माफ़ करदो।   

पादरी:- No! तुम्हें यहां माफ़ी नहीं मिलेगी। तुम जाओ यहां से! तुम यूंही भटकते रहो! तुम्हें इस पाप की माफ़ी, कहीं नहीं मिलेगी! कहीं नहीं! कहीं भी नहीं!

आदमी:- ohh! No! father! sorry! I'm 

 sorry father! मुझे माफ़ करदो! माफ करदो मुझे!!!



(Music louds)!


The End!!!











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